हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की की अहम बैठक को पूरी दुनिया ने बड़े ध्यान से देखा। इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की थी। दोनों ही मुलाकातें ट्रंप के हिसाब से सफल मानी जा रही हैं, लेकिन युद्ध को लेकर कोई ठोस समझौता अभी तक सामने नहीं आया है। रूस-यूक्रेन संघर्ष में फिलहाल सीजफायर पर सहमति नहीं बन पाई है।
इससे पहले पुतिन ने युद्ध रोकने के लिए जेलेंस्की के सामने कई शर्तें रखी थीं, लेकिन जेलेंस्की ने इन शर्तों को स्वीकार नहीं किया। अब जेलेंस्की ने भी पुतिन के सामने तीन शर्तें रख दी हैं, जिन पर आगे की वार्ता टिकी हुई है। यदि ये शर्तें नहीं मानी गईं, तो संभव है कि बातचीत का सिलसिला ठप हो जाए।
जेलेंस्की की तीन प्रमुख शर्तें
ट्रंप के साथ हुई बैठक के दौरान जेलेंस्की ने तीन बड़ी शर्तें रखीं, जो युद्ध को समाप्त करने के लिए उनकी मांगें हैं:
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यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी दी जाए — यानी यूक्रेन को बाहरी खतरे से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा प्रदान की जाए।
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यूक्रेन को अपनी सेना बढ़ाने की स्वतंत्रता मिले — देश अपनी रक्षा व्यवस्था मजबूत कर सके।
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शांति स्थापित होने के बाद देश में चुनाव कराए जाएं — ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए देश की स्थिति सामान्य हो सके।
इन तीनों शर्तों को पुतिन स्वीकार करेंगे या नहीं, यह इस समय एक बड़ा सवाल बना हुआ है। ट्रंप के लिए भी यह चुनौतीपूर्ण होगा कि वह इन शर्तों पर रूस को कैसे राजी कराएं।
पुतिन की शर्तें और टकराव का केंद्र
पुतिन ने ट्रंप के साथ चर्चा में युद्ध बंद करने के लिए कुछ कठोर शर्तें रखी थीं। इनमें मुख्य रूप से ये शामिल थे:
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डोनेट्स्क और अन्य विवादित क्षेत्रों को यूक्रेन को छोड़ देना।
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क्रीमिया पर रूस का नियंत्रण बनाए रखना।
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यूक्रेन को नाटो में शामिल न किया जाए।
जेलेंस्की ने इन शर्तों को मानने से साफ इनकार किया है। उनका कहना है कि यदि वे ये क्षेत्र छोड़ देते हैं, तो रूस का नियंत्रण बढ़ जाएगा, जो यूक्रेन के लिए अस्वीकार्य है। इस बात ने दोनों पक्षों के बीच दूरियों को और बढ़ा दिया है।
आगे का रास्ता क्या होगा?
फिलहाल जो शर्तें जेलेंस्की ने रखी हैं, वे पूरी तरह से पुतिन की मांगों के खिलाफ हैं। जैसा कि जेलेंस्की ने पुतिन की शर्तें मानने से इंकार किया था, उसी तरह संभावना जताई जा रही है कि पुतिन भी जेलेंस्की की शर्तों को स्वीकार न करें।
इसलिए अब दोनों पक्षों के बीच किसी नई बैठक या वार्ता की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे एक-दूसरे की शर्तों को कितना स्वीकार करते हैं। अगर कोई एक पक्ष भी अपनी मांगों से पीछे नहीं हटा, तो आगे की बातचीत ठप हो सकती है और युद्ध की स्थिति बनी रह सकती है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में हुई ये बैठकें युद्ध के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थीं, लेकिन दोनों नेताओं की शर्तें इतनी कट्टर हैं कि समझौता फिलहाल दूर नजर आता है। रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों को ही लचीलापन दिखाना होगा, तभी शांति की राह संभव हो सकेगी। आने वाले दिनों में ट्रंप, जेलेंस्की और पुतिन के बीच वार्ताओं पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी रहेंगी।